Samveda/1124
अप द्वारा मतीनां प्रत्ना ऋण्वन्ति कारवः। वृष्णो हरस आयवः॥११२४
Veda : Samveda | Mantra No : 1124
In English:
Seer : asitaH kaashyapo devalo vaa | Devta : pavamaanaH somaH | Metre : gaayatrii | Tone : ShaDjaH
Subject : English Translation will be uploaded as and when ready.
Verse : apa dvaaraa matiinaa.m pratnaa RRiNvanti kaaravaH . vRRiShNo harasa aayavaH.1124
Component Words : apa .dvaaraa .matiinaam .pratnaaH .RRiNvanti .kaaravaH .vRRiShNaH .harase .aayavaH.
Word Meaning :
Verse Meaning :
Purport :
In Hindi:
ऋषि : असितः काश्यपो देवलो वा | देवता : पवमानः सोमः | छन्द : गायत्री | स्वर : षड्जः
विषय : आगे फिर वही विषय कहा गया है।
पदपाठ : अप ।द्वारा ।मतीनाम् ।प्रत्नाः ।ऋण्वन्ति ।कारवः ।वृष्णः ।हरसे ।आयवः॥
पदार्थ : (प्रत्नाः) पुरातन अर्थात् ज्ञान एवं आयु में वृद्ध, (कारवः) मौखिक एवं व्यावहारिक विद्याओं के शिल्पकार, (आयवः) कर्मयोगी गुरुलोग (वृष्णः) सुखवर्षी ज्ञान को (हरसे) शिष्यों के अन्तरात्मा में लाने के लिए (मतीनाम्) शिष्यों की बुद्धियों के (द्वारा) द्वारों को (अप ऋण्वन्ति) खोल देते हैं ॥९॥
भावार्थ : गुरुओं को चाहिए कि वे शिष्यों की बुद्धियों के बन्द द्वारों को खोलकर उन्हें गम्भीर ज्ञान के ग्रहण करने योग्य करके पण्डित बना दें ॥९॥
In Sanskrit:
ऋषि : असितः काश्यपो देवलो वा | देवता : पवमानः सोमः | छन्द : गायत्री | स्वर : षड्जः
विषय : अथ पुनस्तमेव विषयमाह।
पदपाठ : अप ।द्वारा ।मतीनाम् ।प्रत्नाः ।ऋण्वन्ति ।कारवः ।वृष्णः ।हरसे ।आयवः॥
पदार्थ : (प्रत्नाः) पुरातनाः ज्ञानवयोवृद्धाः (कारवः) मौखिकीनां व्यावहारिकीणां च विद्यानां शिल्पिनः, (आयवः) कर्मयोगिनो गुरुजनाः। [यन्ति क्रियाशीला भवन्ति इति आयवः। ‘छन्दसीणः’ उ० १।२ इत्यनेन इण् गतौ धातोः उण् प्रत्ययः।] (वृष्णः) सुखवर्षकस्य ज्ञानस्य (हरसे) शिष्याणामन्तरात्मनि आहरणाय (मतीनाम्) शिष्यबुद्धीनाम् (द्वारा) द्वाराणि (अप ऋण्वन्ति) अपवृण्वन्ति ॥९॥
भावार्थ : गुरवः शिष्यबुद्धीनाम् अपावृतानि द्वाराणि समुद्घाट्य तान् गम्भीरज्ञानग्रहणक्षमान् विधाय पण्डितान् कुर्युः ॥९॥
टिप्पणी:१. ऋ० ९।१०।६।