Samveda/1183
पुनानः कलशेष्वा वस्त्राण्यरुषो हरिः। परि गव्यान्यव्यत॥११८३
Veda : Samveda | Mantra No : 1183
In English:
Seer : asitaH kaashyapo devalo vaa | Devta : pavamaanaH somaH | Metre : gaayatrii | Tone : ShaDjaH
Subject : English Translation will be uploaded as and when ready.
Verse : punaanaH kalasheShvaa vastraaNyaruSho hariH . pari gavyaanyavyata.1183
Component Words : punaanaH .kalasheShu .aa .vatraaNi. aruShaH .hari .pari. gavyaani .avyata.
Word Meaning :
Verse Meaning :
Purport :
In Hindi:
ऋषि : असितः काश्यपो देवलो वा | देवता : पवमानः सोमः | छन्द : गायत्री | स्वर : षड्जः
विषय : अगले मन्त्र में जीवात्मा का विषय वर्णित है।
पदपाठ : पुनानः ।कलशेषु ।आ ।वत्राणि। अरुषः ।हरि ।परि। गव्यानि ।अव्यत॥
पदार्थ : (अरुषः) आरोचमान अर्थात् तेजस्वी (हरिः) जीवात्मा (कलशेषु) देहरूप कलशों में (आ) आकर (पुनानः) मन आदि को पवित्र करता हुआ (गव्यानि) सूर्य के समान उज्ज्वल (वस्त्राणि) गुण-कर्म-स्वभाव रूप वस्त्रों को (परि अव्यत) धारण करता है ॥६॥
भावार्थ : तभी देहधारी का जन्म सफल होता है, जब वह व्यवहार में अत्यन्त उज्ज्वल गुण, कर्म और स्वभाव को प्रकट करता है ॥६॥
In Sanskrit:
ऋषि : असितः काश्यपो देवलो वा | देवता : पवमानः सोमः | छन्द : गायत्री | स्वर : षड्जः
विषय : अथ जीवात्मविषय उच्यते।
पदपाठ : पुनानः ।कलशेषु ।आ ।वत्राणि। अरुषः ।हरि ।परि। गव्यानि ।अव्यत॥
पदार्थ : (अरुषः) आरोचमानः (हरिः) जीवात्मा [ह्रियते देहाद् देहान्तरमिति हरिः।] (कलशेषु) देहरूपेषु आ आगम्य (पुनानः) मनआदीनि पवित्राणि कुर्वन् (गव्यानि) गौः सूर्यः तद्वदुज्ज्वलानि (वस्त्राणि) गुणकर्मस्वभावरूपाणि वासांसि (परि अव्यत) पर्याच्छादयति ॥६॥
भावार्थ : तदैव देहधारिणो जन्म सफलं यदा स व्यवहारे समुज्ज्वलान् गुणकर्मस्वभावान् प्रकटीकरोति ॥६॥
टिप्पणी:१. ऋ० ९।८।६।