Samveda/1262
एष दिवं वि धावति तिरो रजासि धारया। पवमानः कनिक्रदत्॥१२६२
Veda : Samveda | Mantra No : 1262
In English:
Seer : shunaH shepa aajiigartiH sa devaraataH kRRitrimo vaishvaamitraH | Devta : pavamaanaH somaH | Metre : gaayatrii | Tone : ShaDjaH
Subject : English Translation will be uploaded as and when ready.
Verse : eSha diva.m vi dhaavati tiro rajaa.m si dhaarayaa . pavamaanaH kanikradat.1262
Component Words : eShaH. divam .vi. dhaavati .tiraH .rajaasi .dhaarayaa .pavamaanaH .kanikradat.
Word Meaning :
Verse Meaning :
Purport :
In Hindi:
ऋषि : शुनः शेप आजीगर्तिः स देवरातः कृत्रिमो वैश्वामित्रः | देवता : पवमानः सोमः | छन्द : गायत्री | स्वर : षड्जः
विषय : आगे फिर वही विषय है।
पदपाठ : एषः। दिवम् ।वि। धावति ।तिरः ।रजासि ।धारया ।पवमानः ।कनिक्रदत्॥
पदार्थ : (एषः) यह (पवमानः) पुरुषार्थी जीवात्मा (कनिक्रदत्) स्तोत्रगान को ध्वनित करता हुआ (रजांसि) रजोगुणों को (तिरः) लाँघकर (धारया) सत्त्वगुण की धारा से (दिवम्) तेजस्वी परमात्मा के प्रति (वि धावति) वेग से जाता है ॥७॥
भावार्थ : रजोगुण और तमोगुण को दबाकर सत्त्वगुण को प्रबल करके ही जीवात्मा परमात्मा को पाता है ॥७॥
In Sanskrit:
ऋषि : शुनः शेप आजीगर्तिः स देवरातः कृत्रिमो वैश्वामित्रः | देवता : पवमानः सोमः | छन्द : गायत्री | स्वर : षड्जः
विषय : अथ पुनरपि तमेव विषयमाह।
पदपाठ : एषः। दिवम् ।वि। धावति ।तिरः ।रजासि ।धारया ।पवमानः ।कनिक्रदत्॥
पदार्थ : (एषः) अयम् (पवमानः) पुरुषार्थी जीवात्मा (कनिक्रदत्) स्तोत्रगीतिं ध्वनयन् (रजांसि) रजोगुणान् (तिरः) उल्लङ्घ्य (धारया) सत्त्वगुणस्य धारया (दिवम्) द्युतिमन्तं परमात्मानम् प्रति (वि धावति) वेगेन गच्छति ॥७॥
भावार्थ : रजस्तमोऽभिभवेन सत्त्वप्रबलतयैव जीवात्मा परमात्मानमधिगच्छति ॥७॥
टिप्पणी:१. ऋ० ९।३।७।