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Samveda/1448

इन्द्राय सोम पातवे मदाय परि षिच्यसे। मनश्चिन्मनसस्पतिः॥१४४८

Veda : Samveda | Mantra No : 1448

In English:

Seer : asitaH kaashyapo devalo vaa | Devta : pavamaanaH somaH | Metre : gaayatrii | Tone : ShaDjaH

Subject : English Translation will be uploaded as and when ready.

Verse : indraaya soma paatave madaaya pari Shichyase . manashchinmanasaspatiH.1448

Component Words :
indraaya . soma . paataye . madaaya . pari . sichyase . manashchit . manaH . chit . manasaH . patiH.

Word Meaning :


Verse Meaning :


Purport :


In Hindi:

ऋषि : असितः काश्यपो देवलो वा | देवता : पवमानः सोमः | छन्द : गायत्री | स्वर : षड्जः

विषय : अब परमात्मा को कहते हैं।

पदपाठ : इन्द्राय । सोम । पातये । मदाय । परि । सिच्यसे । मनश्चित् । मनः । चित् । मनसः । पतिः॥

पदार्थ : हे (सोम) रसागार परमेश ! (मनश्चित्) मन को चेतानेवाले, (मनसः पतिः) मन के अधीश्वर, आप (इन्द्राय) जीवात्मा के (पातवे) पान के लिए और (मदाय) उत्साह के लिए (परिषिच्यसे) जीवात्मा में सींचे जा रहे हो ॥५॥

भावार्थ : परमात्मा के ध्यान से प्राप्त हुआ आनन्दरस मन, बुद्धि, प्राण आदि को चेतनामय करता हुआ उपासक को जागरूक किये रखता है ॥५॥


In Sanskrit:

ऋषि : असितः काश्यपो देवलो वा | देवता : पवमानः सोमः | छन्द : गायत्री | स्वर : षड्जः

विषय : अथ परमात्मानमाह।

पदपाठ : इन्द्राय । सोम । पातये । मदाय । परि । सिच्यसे । मनश्चित् । मनः । चित् । मनसः । पतिः॥

पदार्थ : हे (सोम) रसागार परमेश ! (मनश्चित्) मनसः चेतयिता, (मनसः पतिः) मनसोऽधीश्वरः, त्वम् (इन्द्राय) जीवात्मने (पातवे) पानाय, (मदाय) उत्साहाय च (परिषिच्यसे) जीवात्मनि परिक्षार्यसे ॥५॥

भावार्थ : परमात्मध्यानेन प्राप्त आनन्दरसो मनोबुद्धिप्राणादींश्चेतयन्नुपासकं जागरूकं करोति ॥५॥

टिप्पणी:१. ऋ० ९।११।८।