इस पुस्तक में परमात्मा का साक्षात्कार किस रूप में होता है, इस विषय पर विस्तार से विवेचन किया गया है। वर्तमान काल में वैदिक मान्यताओं का इतना ह्रास हो गया है कि ईश्वर के स्वरूप का वास्तविक शाब्दिक ज्ञान ही लोगों के लिए दुर्लभ हो गया हो तो ऐसे में ईश्वर साक्षात्कार सम्बन्धी विभिन्न मतावलम्बियों द्वारा भ्रान्तियों का सागर होना कौन सी बड़ी बात है!!! बहुत से वैदिक मान्यताओं को मानने वाले भी यह प्रचार कर रहे हैं कि ईश्वर का साक्षात्कार दिव्य ज्योति के रूप में होता है। इस ग्रन्थ में ईश्वर का साक्षात्कार सम्बन्धित इस अवधारणा का विवेचन कर इस मिथ्या मान्यता का निराकरण किया गया है। प्रस्तुत ग्रन्थ में प्रतिपादित ईश्वर का स्वरूप जान लेने के पश्चात् योगदर्शन में असम्प्रज्ञात समाधि में होने वाले ईश्वर साक्षात्कार को समझना सरल है। ईश्वर साक्षात्कार के यथार्थ स्वरूप को जाने और समझे बिना, समाधि में होने वाले ईश्वर साक्षात्कार के विषय में भ्रान्ति के कारण साधक असम्प्रज्ञात समाधि तक पहुँच ही नहीं पाता और अपने परम लक्ष्य से दूर हो जाता है।